फरजाना आलम
फरजाना आलम जिन्हें फरजाना नेसरा खातून नाम से भाी जाना जाता है पंजाब राज्य से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह 2012 में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की उम्मीदवार के रूप में मलेरकोटला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं ।
फरजाना आलम ने 2012 में मलेरकोटला से SAD की टिकट पर चुनाव जीतकर पंजाब विधानसभा में प्रवेश किया। हालांकि, 2017 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना से हार का सामना करना पड़ा । विधायक रहते हुए, फरजाना आलम को पंजाब वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके पति, मोहम्मद इजहार आलम, जो पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी थे, को भी इसी अवधि में वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था ।
2021 में, फरजाना आलम ने शिरोमणि अकाली दल छोड़कर पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा स्थापित की गई थी ।
फरजाना आलम के पति, मोहम्मद इजहार आलम, पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी थे और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनका निधन 2021 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ ।
फरजाना आलम का जन्म 30 अगस्त 1954 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीीना में हुआ था। उनके पिता का नाम मसूदुल हसन प्रमी है। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई आगरा में पूरी की। उनकी शादी मोहम्मद इज़हार आलम से हुई थी, जो पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक (DGP) थे। इज़हार आलम को आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है, हालांकि उनके कार्यकाल के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप भी लगे थे। उनका निधन 6छह जुलाई 2021 को हुआ।
: फरजाना आलम ने 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के टिकट पर मलेरकोटला सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की दो बार की विधायक रजिया सुल्ताना को हराया। इस जीत के बाद उन्हें पंजाब वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
पार्टी परिवर्तन: 2017 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। बाद में, अक्टूबर 2020 में, उन्हें इस्त्री अकाली दल की महासचिव नियुक्त किया गया, लेकिन पार्टी के भीतर विरोध के कारण उन्हें इस पद से हटा दिया गया। 14 दिसंबर 2021 को, उन्होंने शिरोमणि अकाली दल छोड़कर पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा स्थापित की गई थी।
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